Sunday 3 October 2021

Majhi Renuka Mauli

Majhi Renuka Mauli / माझी रेणुका माऊली कल्पवृक्षाची साऊली


माझी रेणुका माउली, कल्पवृक्षाची साउली ।

जैसी वत्सालागी गाय, तैसी अनाथांची माय ॥१॥


हाकेसरशी घाई घाई, वेगे धावतची पायी ।

आली तापल्या उन्हात, नाही आळस मनात ॥२॥


खाली बैस घे आराम, मुखावरती आला घाम ।

विष्णुदास आदराने वारा घाली पदराने ॥३॥



Majhi Renuka Mauli Lyrics


Maajhi renuka maauli kalpawrikshaachi saauli 

Jaisi watsaalaagi gaay taisi anaathaanchi maay 


Haakesarashi ghaai ghaai wege dhaawatachi paayi 

Ali taapalya unhaat naahi alas manaat 


Khaali bais ghe araam, mukhaawarati ala ghaam 

Wishnudaas adaraane waara ghaali padaraane 

Durge Durgat Bhari Tujvin Sansari Lyrics

देवीची आरती (दुर्गे दुर्गटभारी)

दुर्गे दुर्गटभारी तुजविण संसारी
अनाथनाथे अंबे करुणा विस्तारी
वारी वारी जन्म मरणांतें वारी
हारी पडलो आता संकट निवारी॥१॥


जय देवी जय देवी जय महिषासुरमथिनी
सुरवर ईश्वरदे तारक संजीवनी, जय देवी जय देवी ॥धृ॥


त्रिभुवनी भुवनी पाहता तुज ऐसे नाही
चारी श्रमले परंतु न बोलवे काही
साही विवाद करता पडले प्रवाही
ते तू भक्तांलागी पावसि लवलाही॥२॥


जय देवी जय देवी जय महिषासुरमथिनी
सुरवर ईश्वरदे तारक संजीवनी, जय देवी जय देवी ॥धृ॥


प्रसन्नवदने प्रसन्न होशी निजदासा
क्लेशापासुन सोडी तोडी भवपाशा
अंबे तुजवाचून कोण पुरवील आशा
नरहरि तल्लिन झाला पदपंकजलेशा॥३॥


जय देवी जय देवी जय महिषासुरमथिनी
सुरवर ईश्वरदे तारक संजीवनी, जय देवी जय देवी ॥धृ॥

Tuesday 14 September 2021

श्री गणेशपञ्चरत्नम् | Ganesha Pancharatnam

मुदा करात्त मोदकं सदा विमुक्ति साधकं |
कलाधरावतंसकं विलासिलोक रक्षकम् |
अनायकैक नायकं विनाशितेभ दैत्यकं |
नताशुभाशु नाशकं नमामि तं विनायकम् ‖ 1 ‖ 

नतेतराति भीकरं नवोदितार्क भास्वरं |
नमत्सुरारि निर्जरं नताधिकापदुद्ढरम् |
सुरेश्वरं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरं |
महेश्वरं तमाश्रये परात्परं निरंतरम् ‖ 2 ‖ 

समस्त लोक शंकरं निरस्त दैत्य कुंजरं |
दरेतरोदरं वरं वरेभ वक्त्रमक्षरम् |
कृपाकरं क्षमाकरं मुदाकरं यशस्करं |
मनस्करं नमस्कृतां नमस्करोमि भास्वरम् ‖ 3 ‖ 

अकिंचनार्ति मार्जनं चिरंतनोक्ति भाजनं |
पुरारि पूर्व नंदनं सुरारि गर्व चर्वणम् |
प्रपंच नाश भीषणं धनंजयादि भूषणं |
कपोल दानवारणं भजे पुराण वारणम् ‖ 4 ‖ 

नितांत कांति दंत कांति मंत कांति कात्मजम् |
अचिंत्य रूपमंत हीन मंतराय कृंतनम् |
हृदंतरे निरंतरं वसंतमेव योगिनां |
तमेकदंतमेव तं विचिंतयामि संततम् ‖ 5 ‖ 

महागणेश पंचरत्नमादरेण योऽन्वहं |
प्रजल्पति प्रभातके हृदि स्मरन् गणेश्वरम् |
अरोगतामदोषतां सुसाहितीं सुपुत्रतां |
समाहितायु रष्टभूति मभ्युपैति सोऽचिरात् ‖